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faridabad| कैंसर एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जो दुनियाभर में फैली हुई है। जिसके फैलने का कोई निर्धारित कारण नहीं हैं। कैंसर कोई एक बीमारी नहीं हैं, कैंसर 200 से 250 प्रकार का होता है। सबके लक्षण अलग-अलग होते हैं। डॉक्टर ने बताया कि लोगों में यह भी एक धारणा है कि हर तरह के कैंसर का इलाज एक ही है। यह गलत धारणा है क्योंकि हर तरह के कैंसर का इलाज अलग होता है। कैंसर किसी मुख्य कारण की जह से नहीं होता। बहुत से ऐसे कारण हैं जिन्हें कैंसर रोग से जोड़ा गया है। रहन-सहन, वातावरण, खानपान, साफ-सफाई और कुछ वायरल इंफेक्शन के कारण भी कैंसर हो सकता है। कैंसर किसी वर्ग विशेष को प्रभावित नहीं करता बल्कि जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक कभी भी हो सकता है।
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट ऑनकोलॉजी सर्जन डॉ. रोहित नय्यर का कहना है कि पश्चिमी देशों की तरह हमारे देश में भी बड़ी आंत का कैंसर, स्तन का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर , खाने की नली का कैंसर और प्रोस्टेट ग्रंथी का कैंसर ज्यादा पाया जाता है। जोकि वहां के रहन सहन से प्रभावित होता है। एशियाई देशों में मुंह गले का कैंसर, पित्त की थैली का कैंसर, बच्चेदानी का कैंसर, स्त्रियों में ब्रेस्ट कैंसर आंतो के कैंसर अधिक पाया जाता है। जोकि पश्चिमी डाइट में मैदा, फैटी डाइट और लाल मांस (रेड मीट) आदि के सेन के कारण होता है।
हमारे देश में धूम्रपान और तंबाकू के सेन के चलते सबसे ज्यादा मुंह और गले के कैंसर के रोगी पाए जाते हैं। सिगरेट पीने वाले लोगों को फेफड़े और खाने की नली का कैंसर हो सकता है। शोध में पाया गया है कि जो व्यक्ति हर दिन करीब 20 सिगरेट पीता है तो उसको कैंसर होने का जोखिम 60 से 70 प्रतिशत तक ज्यादा हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति 10 साल तक धूम्रपान न करे तो 50 प्रतिशत तक कैंसर का रिस्क कम हो जाता है। यदि व्यक्ति आज धूम्रपान बंद करता है तो पांच साल में 20 प्रतिशत तक कैंसर का खतरा कम किया जा सकता है। धूम्रपान, गुटखा, खैनी पान, जर्दा पान-मसाला आदि कुछ ऐसे कारण हैं जो व्यक्ति के हाथ में हैं। कि अगर व्यक्ति इनका सेवन बंद कर दे तो कैंसर से पूरी तरह से बचा जा सकता है।
आज हमारे देश में स्त्रियों में स्तन कैंसर का रोग तेजी से बढ़ रहा है। गांवो के मुकाबले शहरी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आ रही हैं। शहरी क्षेत्रों में व्यस्त जीनशैली के चलते लोग शरीरिक श्रम नहीं कर पाते और वे बीमरियों की चपेट में आ जाते हैं।
बच्चेदानी के कैंसर में एचपी यानि ह्यूमन पेपीलोमा वायरस 80 प्रतिशत तक जिम्मेदार पाया गया है। जो जननांगों की साफ-सफाई न होने के कारण फैलता है। इसके अलावा बार-बार गर्भपात कराने और मल्टीपल सेक्सुअल पार्टनर का होना भी बच्चेदानी के कैंसर का कारण होता है। हालांकि इस कैंसर से बचने के लिए अस्पतालों में वैक्सीन उपलब्ध है।
हेपेटाइटिस-बी वायरस के इंफेक्शन के कारण लिर का कैंसर होता है। शुरुआत में इलाज भी कैंसर से बचाया जा सकता है और हेपेटाइटिस-बी से ग्रसित गर्भवती के बच्चे को जन्म के तुरंत बाद वैक्सीन देने से भी लिर कैंसर से बचाया जा सकता है।
एशियन अस्पताल के डॉ. प्रवीन बंसल डायरेक्टर मेडिकल ऑनकोलॉजी का कहना है कि पित्त की थैली का कैंसर उत्तर भारत में एक मुख्य कैंसर हैं। उस कैंसर के बारे में खास बात यह है कि अकसर यह कैंसर एडांस स्टेज में पहुंचने पर पता चलता है। यह कैंसर महिलाओ के अंदर ज्यादा पाया जाता है। दक्षिण भारत में यह कैंसर बहुत कम पाया जाता है। इसकी जह व् हां की जलायु और खानपान है।
कैंसर के शुरुआत लक्षण पेट की आम बीमारियों के जैसे ही होते हैं। जैसे भोजन का ठीक तरह पाचन न होना, भारीपन होना,गैस बनना उल्टी होना आदि लक्षण होते हैं। आम व्यक्ति इन लक्षणों पर ध्यान नहीं देता और अपना इलाज अपने आप शुरू कर देता है। डॉक्टर का कहना है कि पित्त की थैली का कैंसर देर से मालूम पड़ता है। अक्सर मरीज हमारे पास पीलिया की शिकायत लेकर आते हैं। उनको यह पीलिया कैंसर के लीवर में फैलने या पित्त की नली को दबाने की जह से होता है। पित्त की थैली के कैंसरोले मरीजों में पित्त की थैली की पथरी होना बहुत सामान्य बात है। हालांकि पित्त की थैली में कैंसर से पथरी का कोई संबंध नहीं है। लोग पित्त की थैली की पथरी को निकलाते नहीं हैं क्योंकि यह दर्द नहीं करती है।
एडवांस स्टेज में इलाज होने की जह से उस कैंसर का पूर्णतया इलाज संभ नहीं है। अत: इससे बचने के लिए या जल्दी इलाज कराने के लिए 30 र्ष की उम्र में एक बार पेट का अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए और अगर पथरी या पित्त की थैली की दीवार मोटी हो तो उसे निकलाना चाहिए। शारीरिक श्रम , व्यायाम एं संतुलित आहार पर ध्यान देना चाहिए।
केमिकल, कीटनाशकों के इस्तेमाल और प्रदूषण भी कैंसर को प्रभाति करता है। फैक्ट्रियों में केमिकल्स के इस्तेमाल के कारण हां के कर्मचारी कैंसर के शिकार होते हैं और यह कैंसर किसी भी प्रकार का हो सकता है। ऐसे में लोगों को चाहिए कि समय-समय पर अपनी जांच कराएं ताकि समय रहते उनके शरीर में फैल रही बीमारी के बारे में जान सके और उसका इलाज कर जड़ सें खत्म किया जा सके। डॉक्टर का कहना है कि पहली और दूसरी स्टेज में बीमारी का पता चलने पर उसे इलाज के माध्यम से जड़ से खत्म किया जा सकता है। तीसरी और चौथी स्टेज में बीमारी का पता चलने पर बीमारी को कुछ हद तक कंट्रोल तो किया जा सकता है, लेकिन उस बीमारी को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति 30 र्ष की उम्र के बाद हर साल अपनी शरीरिक जांच कराए ताकि समय रहते बीमारी पकड़ में आ सके और जल्दी से इलाज कराकर बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके।
डॉक्टर ने बताया कि अगर शरीर के किसी भी हिस्से में बिना दर्दोली गांठ या छाला है तो यह कैंसर हो सकता है। मल में खून आना, दस्त होना, डायरिया, मुंह के अंदर सफेद या लाल दाग होना और छह महीने के भीतर बिना डाइटिंग के करीब दस किलो जन कम होना कैंसर के संकेत हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर जांच करानी चाहिए। ताकि समय रहते इलाज हो सके।
डॉक्टर का कहना है कि अपने खानपान और जीनशैली में बदला किया जाए। नियमित व्यायाम करें, धूम्रपान और तंबाकू का सेन न किया जाए, संतुलित आहार और शारीरिक श्रम के माध्यम से भी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।